उत्तराखंड में डॉक्टरों की कमी अक्सर चर्चा में रहती है, इस बार विधानसभा बजट के दौरान डॉक्टरों की कमी का मुद्दा फिर से सदन में उठाया गया, जिस पर कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत ने जवाब दिया. दरअसल, विधानसभा बजट सत्र के तीसरे दिन की कार्यवाही के दौरान स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सकों की कमी को लेकर कांग्रेस विधायक हरीश धामी ने सवाल उठाए.
जिस पर स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने जवाब दिया कि प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में खासकर पिथौरागढ़ जिले में चिकित्सकों और टेक्नीशियन की काफी कमी है जिसकी वजह से जनता को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
उत्तराखंड राज्य के पर्वतीय जिलों में कुल 1896 चिकित्सकों के पद स्वीकृत है. जिसके सापेक्ष 1182 स्थाई चिकित्सा और 716 बॉन्ड और संविदा के जरिए चिकित्सक अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
हालांकि पिथौरागढ़ जिले में चिकित्सकों के कुल 174 पद स्वीकृत है जिसके सापेक्ष 84 स्थाई चिकित्सा और 45 बॉन्ड या संविदा के तहत अपनी सेवाएं दे रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि उत्तराखंड राज्य में लगभग 48 से 50 फीसदी स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की कमी है. जिन पदों को भरने के लिए सरकार की ओर से 400 डॉक्टर को पीजी करने के लिए भेजा गया है. नियमानुसार, पीजी करने वाले डॉक्टर्स का आधा खर्च राज्य सरकार वहन करती है. हालांकि, पीजी करने के लिए गए डॉक्टर्स की वजह से प्रदेश में डॉक्टर्स की कमी हुई है. लेकिन पीजी कंप्लीट करने के बाद डॉक्टर्स अपनी सेवाएं देना शुरू कर देंगे.
सदन के भीतर स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि टेक्नीशियन के पदों को भरने की कवायत चल रही है 34 टेक्नीशियन जल्द ही प्रदेश को मिल जाएंगे. टेक्नीशियन मिलने के बाद सबसे पहले मुनस्यारी और धारचूला क्षेत्र में टेक्नीशियन भेजे जाएंगे. इसके साथ ही इस साल पीजी कंप्लीट कर वापस आने वाले डॉक्टर में से एक- दो डॉक्टर को धारचूला और मुनस्यारी में भी तैनात किया जाएगा. प्रदेश में खाली पड़े ओटी टेक्नीशियन के एक भी पद भरे ना जाने के सवाल पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सेवा नियमावली प्रख्यापित होने के बाद ओटी टेक्नीशियन के पदों को भरे जाने की कार्रवाई शुरू की जाएगी.