चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया के सबसे बड़े हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट की शुरुआत करने की योजना बनाई है, जिसे तिब्बत में यारलुंग जांगपो नामक डैम के रूप में देखा जा रहा है। यह प्रोजेक्ट भारत और बांग्लादेश के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है। 2006 से ही यह प्रोजेक्ट भारत के लिए चिंता का कारण रहा है, क्योंकि इसके पूरा होने से नदी के प्रवाह में बदलाव आ सकता है, जिससे कई पर्यावरण और जलवायु समस्याएं हो सकती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस डैम के निर्माण से बाढ़, सूखा और जल संकट जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
चीन का कहना है कि इससे भारत और बांग्लादेश पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इसका असर इन दोनों देशों पर पड़ सकता है। यह प्रोजेक्ट जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण पर काफी असर डाल सकता है।
ब्रह्मपुत्र नदी पर चीनी डैम का असर
विशेषज्ञों का कहना है कि यारलुंग जांगपो डैम के निर्माण से अरुणाचल प्रदेश और बांग्लादेश में बाढ़ और सूखा की समस्या और बढ़ सकती है। गर्मियों में जब पानी अधिक होगा, तो बांध ज्यादा पानी छोड़ेगा, जिससे बाढ़ आ सकती है। सर्दियों में जब पानी कम होगा, तो बांध पानी जमा करेगा, जिससे पानी की कमी हो सकती है। इस स्थिति का विशेष असर भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र पर पड़ सकता है, जो पहले से ही जलवायु परिवर्तन से प्रभावित है। इसके अलावा, बांग्लादेश जैसे निचले इलाकों में भी पानी की कमी और बाढ़ की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
राजनीतिक असर और जलवायु संकट
यदि भारत और चीन के रिश्ते बिगड़ते हैं, तो चीन इस डैम का राजनीतिक रूप से भी इस्तेमाल कर सकता है। खासकर युद्ध की स्थिति में यह डैम एक स्ट्रैटेजिक हथियार बन सकता है। अगर चीन को लगता है कि भारत के साथ रिश्ते खराब हो गए हैं, तो वह पानी का प्रवाह रोक सकता है, जिससे भारत के क्षेत्र में सूखा पड़ सकता है। या फिर वह पानी छोड़ सकता है, जिससे भारत और बांग्लादेश में बाढ़ आ सकती है। तिब्बत पॉलिसी इंस्टीट्यूट के रीसर्चर तेम्पा ग्यालस्टन ने कहा, ‘अगर युद्ध होता है तो चीन इस डैम का उपयोग जलवायु के हथियार के रूप में कर सकता है।’ यह पूरे क्षेत्र के लिए एक गंभीर खतरा हो सकता है, क्योंकि पानी का प्रवाह न केवल भारत के लिए बल्कि बांग्लादेश के लिए भी जरूरी है।
भारत की चीन से अपील
भारत ने इस प्रोजेक्ट पर अपनी चिंता जताते हुए चीन से अपील की है कि इस प्रोजेक्ट से निचले क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन का कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘हम इस प्रोजेक्ट से होने वाले प्रभाव की निगरानी करेंगे और जरूरी कदम उठाएंगे।’भारत ने कहा कि चीन को इस प्रोजेक्ट को खुलकर और बातचीत के साथ आगे बढ़ाना चाहिए।, ताकि निचले इलाकों के देशों को किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े। हाल ही में, भारत और अमेरिका के बीच हुई वार्ता में भी इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी, जिससे यह साफ हो गया कि भारत इस प्रोजेक्ट को लेकर बहुत सतर्क है।