उत्तराखंड सरकार प्रदेश के किसानों और पशुपालकों कि आय को दोगुना किए जाने को लेकर तमाम योजनाएं चला रही है. इसी क्रम में पशुपालन विभाग द्वारा पशुपालकों की आय को बढ़ाने के लिए 75 फीसदी सब्सिडी के साथ मेरिनो भेड़ उपलब्ध कराए जा रहे हैं. लेकिन अभी भी दिक्कत यह है कि मेरिनो भेड़ के जरिए कम मेहनत में ज्यादा मुनाफा कैसे कमा सकेंगे, ऐसी टेक्नोलॉजी प्रदेश में नहीं है. लिहाजा उत्तराखंड सरकार मेरिनो भेड़ से निकलने वाली ऊन को आसानी से निकलने के लिए ऑस्ट्रेलिया सरकार के साथ एमओयू करने जा रही है.
ऐसे में प्रदेश के पशुपालक, ऑस्ट्रेलिया जाकर और वहां के किसान उत्तराखंड आकार पशुपालकों को नई टेक्नोलॉजी की ट्रेनिंग देंगे. ताकि आसानी से मेरिनो भेड़ के ऊन को निकाला जा सके. क्योंकि सामान्य भेड़ के मुकाबले मेरिनो भेड़ के ऊन की कीमत करीब 10 से 15 गुना अधिक है. साथ ही सामान्य भेड़ के मुकाबले करीब दो गुना ऊन प्राप्त होता है. लिहाजा, भेड़ से ऊन किस तरह से निकालना है, इसकी टेक्नोलॉजी ऑस्ट्रेलिया से ली जाएगी. वहीं, पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने बताया कि पर्वतीय क्षेत्रों पर भेड़ पालन, रोजगार का एक बड़ा जरिया है.
सरकार की कोशिश थी कि पशुपालकों को अच्छी क्वालिटी की भेड़ दी जाए, ताकि उनका रोजगार बढ़ सके और ऊन का इस्तेमाल कपड़े बनाने में भी कर सके. इसके लिए सरकार ने निर्णय लिए था कि पशुपालकों के भेड़ को मेरिनो भेड़ से बदल दिया जाए, जिससे न सिर्फ मेरिनो भेड़ के मांस का अच्छा दाम पशुपालकों को मिलेगा, बल्कि उच्च क्वालिटी का ऊन भी मिलेगी, जो महंगे दामों पर बिकता है.पशुपालकों के भेड़ को मेरिनो भेड़ से बदलने की योजना का कोई खास रिस्पांस देखने को नहीं मिला. जिसके बाद सरकार ने 75 फीसदी सब्सिडी के साथ मेरिनो भेड़ देने की योजना शुरू की है.
जिसका असर धरातल पर दिख रहा है. पशुपालन इस योजना का बढ़ चढ़कर लाभ उठा रहे हैं. साथ ही मंत्री ने कहा कि शेयरिंग को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है. जिसके तहत ऑस्ट्रेलियन सरकार के साथ मिलकर न सिर्फ मेरिनो भेड़ का आयात किया जाएगा, बल्कि सरकार की कोशिश है कि वहां की टेक्नोलॉजी भी प्रदेश में लाई जाए. इस संबंध में जल्द ही ऑस्ट्रेलिया सरकार के साथ एमओयू साइन किया जाएगा.