उत्तराखंड हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश समेत पांच जजों के पद खाली होने को लेकर उत्तराखंड बार काउंसिल और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने गहरा आक्रोश व्यक्त किया है। बार काउंसिल ने केंद्र सरकार से हाईकोर्ट में जल्द से जल्द जजों के रिक्त पद भरने की मांग की है।
जजों की नियुक्ति पर केंद्र सरकार की चुप्पी
उत्तराखंड बार काउंसिल के अध्यक्ष और पूर्व सांसद डॉ. महेंद्र पाल ने मंगलवार को हाईकोर्ट बार सभा कक्ष में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने छह महीने पहले उत्तराखंड हाईकोर्ट के नए न्यायाधीशों के नाम की सिफारिश केंद्र सरकार से की थी। इसके अतिरिक्त, हाईकोर्ट के तीन अधिवक्ताओं के नाम भी जज नियुक्त करने के लिए सिफारिश की गई थी, लेकिन अब तक केंद्र सरकार ने इन सिफारिशों पर कोई निर्णय नहीं लिया है। वर्तमान में, हाईकोर्ट के स्वीकृत 11 जजों के स्थान पर केवल 6 जज कार्यरत हैं। हाईकोर्ट में लंबित मामलों की संख्या 55 हजार से अधिक हो चुकी है।
न्यायिक कार्य प्रभावित
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डीएस मेहता ने बताया कि जजों की कमी के कारण न्यायिक कार्यों में देरी हो रही है और वादकारियों को समय पर न्याय नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि रजिस्ट्री द्वारा जारी की जा रही डेली और वीकली ‘कॉज लिस्ट’ के मामलों की सुनवाई नहीं हो पा रही है। अपील और जमानत याचिकाओं पर सुनवाई में देरी के कारण जेल मैन्युअल का भी उल्लंघन हो रहा है और बड़ी संख्या में कैदी जेलों में बंद हैं।
केंद्रीय कानून मंत्री से मुलाकात की योजना
वरिष्ठ अधिवक्ता पुष्पा जोशी ने कहा कि हाईकोर्ट में जजों की कमी से न्यायिक प्रक्रियाएं बाधित हो रही हैं और वादकारियों को इसका नुकसान उठाना पड़ रहा है। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के महासचिव बीरेंद्र रावत ने बताया कि बार एसोसिएशन इस मुद्दे को लेकर जल्द ही केंद्रीय कानून मंत्री और अन्य संबंधित अधिकारियों से मुलाकात करेगा।
जजों की कमी के कारण न्याय में देरी, वादकारियों की परेशानी बढ़ी
उत्तराखंड हाईकोर्ट में जजों की कमी एक गंभीर समस्या बन गई है, जिसका सीधा असर न्यायिक प्रक्रिया और वादकारियों पर पड़ रहा है। बार काउंसिल और बार एसोसिएशन ने केंद्र सरकार से इस समस्या का शीघ्र समाधान करने की अपील की है।