जैसे-जैसे 2024 समाप्त हो रहा है, उत्तराखंड में बीते साल की घटनाएं दिलों को झकझोर रही हैं। प्राकृतिक आपदाओं का यह साल राज्य के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रहा। बारिश, बादल फटना और लैंडस्लाइड जैसी घटनाओं ने न केवल 82 लोगों की जान ली, बल्कि सैकड़ों को घायल भी किया। इन घटनाओं ने राज्य के इंफ्रास्ट्रक्चर को भी बुरी तरह प्रभावित किया।
उत्तराखंड में हर साल सैकड़ों लोग प्राकृतिक आपदाओं के चलते काल के गाल में समा जाते हैं. सैकड़ों करोड़ का नुकसान भी उत्तराखंड को प्राकृतिक आपदाओं में होता है. साल 2024 के शुरू से लेकर के अब आखरी तक की तमाम घटनाओं और उनसे जुड़े स्टैटिस्टिक्स पर नजर डालते हैं. अलग-अलग घटनाओं की पोस्ट डिजास्टर नीड एसेसमेंट (PDNA) रिपोर्ट के अनुसार अब तक 154 करोड़ के नुकसान का अनुमान लगाया जा चुका है. जिसका आकलन भी जारी है. अब तक जनवरी 2024 से दिसंबर 2024 के बीच में बांटी गई की आपदा राशि की बात करें तो उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने अब तक 600 करोड़ रुपए प्रदेश के सभी जिलों में बांटे हैं. जिलाधिकारी के माध्यम से आपदा राहत राशि देने का काम युद्ध स्तर पर जारी है.
उत्तराखंड, जो पहले से ही एक संवेदनशील हिमालयी राज्य है, इस साल भी आपदाओं की चपेट में रहा। रुद्रप्रयाग जिले में सबसे ज्यादा 20 लोगों की जान गई। इसके अलावा, 28 लोग अब तक लापता हैं। ऐसी घटनाएं न केवल जान-माल का नुकसान करती हैं, बल्कि राज्य की समग्र संरचना को भी कमजोर बनाती हैं।
उत्तराखंड आपदा प्रबंधन ने 2024 में कई बड़े सुधार किए। आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन के अनुसार, इस साल सबसे बड़ा बदलाव राहत राशि के वितरण में किया गया है। इसे त्वरित गति से पीड़ितों तक पहुंचाया गया, जबकि पहले इसमें काफी समय लगता था। तकनीकी मोर्चे पर, अर्ली वॉर्निंग सिस्टम को और मजबूत किया गया है। टिहरी जिले के बूढ़ा केदार क्षेत्र में जिला प्रशासन की सतर्कता से सैकड़ों लोगों की जान बचाई जा सकी।
आगे के लिए आपदा प्रबंधन तंत्र पिछले 10-15 वर्षों की आपदाओं का विश्लेषण कर रहा है। इस डेटा का अध्ययन कर नई रणनीतियां बनाई जाएंगी ताकि भविष्य में नुकसान को कम किया जा सके।
इस साल की आपदाओं ने यह सबक दिया कि क्विक रिस्पांस, तकनीकी उन्नति, और पॉलिसी में बदलाव के साथ ही आपदा प्रबंधन को और बेहतर बनाया जा सकता है। उत्तराखंड सरकार की प्राथमिकता अब अर्ली वॉर्निंग सिस्टम को और सशक्त करने और स्थानीय स्तर पर लोगों को जागरूक करने पर है।
2024 ने उत्तराखंड को कई चुनौतियों का सामना करने पर मजबूर किया है। हालांकि, सरकार और स्थानीय प्रशासन ने राहत एवं बचाव कार्यों में तत्परता दिखाई है। आने वाले समय में यदि सही रणनीतियाँ अपनाई जाएं, तो भविष्य में इन प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम किया जा सकता है।