Saturday, December 14, 2024
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उत्तराखंड के हिमालयी इलाकों में उगा सफेद चंदन, गढ़वाल विवि को मिली सफलता

अब उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले किसान भी सफेद चंदन की खेती कर सकेंगे. दरअसल हेमवती नंदन गढ़वाल केंद्रीय विवि द्वारा चंदन के पेड़ उगाने का सफल परीक्षण किया गया है. यहां अब बड़ी संख्या में चंदन के पेड़ उगने लगे हैं, जिनका आकार भी बड़ा होने लगा है.

उत्तराखंड के हिमालयी इलाकों में उगा सफेद चंदन: वैज्ञानिकों ने परीक्षण से सिद्ध कर दिया है कि अब उत्तराखंड के ऊंचाई वाले इलाकों में भी चंदन की खेती आसानी से हो सकेगी. गढ़वाल विवि ने 40 से 50 पेड़ों की यहां नर्सरी तैयार कर की है. इससे पहले इतने बड़े लेवल पर यहां सफेद चंदन उगाया नहीं गया था. वर्तमान में अभी एक किलो सफेद चंदन की लकड़ी 2,000 रुपए किलो बिक रही है. अगर किसान इसकी खेती करते हैं, तो उनको मोटा मुनाफा हो सकेगा.

गढ़वाल केंद्रीय विवि के हैप्रेक विभाग को मिली सफलता: हेमवंंती नंदन गढ़वाल विवि के हैप्रेक विभाग (उच्च शिखरीय पादप कार्यिकी शोध केंद्र) ने विवि में चित्रा गार्डन की स्थापना की थी. इसमें सफेद चंदन के पौधों के लगाया था. इसके पीछे की वजह ये थी कि क्या ऊंचाई वाले इलाकों में सफेद चंदन उग सकेगा कि नही. खुशी की बात ये है कि चंदन के पौधों को लगाने के बाद अब ये पौधे पेड़ का रूप ले चुके हैं.
Cultivation of White Sandalwood

गढ़वाल विवि के HAPPRC ने सफेद चंदन के पेड़ उगाए 

ऐसे मिली सफेद चंदन उगाने में सफलता: हैप्रेक विभाग के डायरेक्टर प्रो विजयकांत पुरोहित ने बताया कि एक परीक्षण के तहत इन पौधों को लगाया गया था. हमारा परीक्षण सफल हुआ है. ये परीक्षण बताता है कि हिमालय के ऊंचाई वाले इलाकों में किसान सफेद चंदन की खेती आसानी से कर सकेंगे. उन्होंने बताया कि चंदन व्यावसायिक रूप से लाभ पहुंचाने वाला पेड़ है. इसकी लकड़ी की डिमांग बाजार में बहुत है. सफेद चंदन में औषधीय गुण बहुत बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं. प्रोफेसर विजयकांत पुरोहित ने बताया कि सफेद चंदन चेहरे के लिए लाभदायक है. इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बहुत होती है. ये सूजन को कम करने में भी सहायक होता है. उन्होंने बताया कि कॉस्मेटिक बाजार में सफेद चंदन की बहुत ज्यादा डिमांड है. किसान इस डिमांड के बल पर लाभ कमा सकते हैं.

इतना महंगा बिकता है सफेद चंदन: हैप्रेक विभाग (High Altitude Plant Physiology Research Centre) में गेस्ट फैकल्टी के तौर पर कार्य कर रहे डॉक्टर अंकित रावत बताते हैं कि अमूमन सफेद चंदन गर्म जगहों पर उगाया जाने वाला पौधा है. ये चिड़िया की बीट द्वारा प्राकृतिक रूप से उगता है. अब भारत के विभिन्न हिस्सों में इसकी व्यावसायिक खेती की जाने लगी है. इसमें तुरंत लाभ नहीं मिलता. चंदन के पेड़ को बड़े होने में 6 साल तक का समय लगता है. बड़े होने पर इसकी लड़की 2,000 से 3,000 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बाजार में कच्चे माल के रूप में बिकती है. इस तरह ये किसानों को लाभ पहुंचाने में कारगर साबित होगी. खासकर उत्तराखंड के किसान इसका लाभ ले सकते हैं.

Cultivation of White Sandalwood

सफेद चंदन की खेती से किसानों को फायदा हो सकता है 

कब उगाए जाते हैं चंदन के पौधे: अमूमन सफेद चंदन भूमध्य रेखीय क्षेत्र (ट्रॉपिकल जोन) में उगने वाली पौध है. इसकी खेती समुद्र तल से 500 मीटर ऊंचाई वाले इलाको में अच्छे से होती है. हालांकि सब ट्रॉपिकल जोन में 800 से 1200 मीटर की ऊंचाई तक इसको अच्छे से उगाया जा सकता है. किसान इसकी खेती करने के लिए नवम्बर ओर दिसम्बर के महीनों के बीच इसके बीज लगा सकते हैं. इसके बीज इन दो माहों में ही पकते हैं. डॉ अंकित रावत के अनुसार इसके बीजों को गुनगुने पानी में रखने के बाद उन्हें बो सकते हैं. या बीजों को रेत में रगड़ कर भी बोया जा सकता है.

Cultivation of White Sandalwood

गढ़वाल विवि पहाड़ के किसानों की आर्थिकी बढ़ाने के लिए प्रयोग कर रहा है 

फॉरेस्ट विभाग से लेनी पड़ती है अनुमति: प्रोफेसर विजयकांत पुरोहित ने बताया कि चंदन की खेती में वन विभाग का महत्वपूर्ण रोल है. किसान को फॉरेस्ट विभाग को जानकारी देनी पड़ती है कि वो कितने भू भाग में चंदन की खेती कर रहे हैं. विभाग मौके पर जाकर खेती का सत्यापन करता है. सत्यापन के बाद वन विभाग लाइसेंस दे देता है. मांग के अनुसार विभाग लकड़ी के काटने का रवन्ना देता है, तब किसान मांग के अनुसार किसी को भी चंदन की लकड़ी बेच सकते हैं. इसकी जानकारी भी वन विभाग को देनी होती है.

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