उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में भीषण सड़क हादसे से प्रदेश में शोक की लहर है. अबतक इस दुर्घटना में 30 से ज्यादा लोगों के जान जाने की खबर है. उत्तराखंड के लिए यह कोई पहली बड़ी दुर्घटना नहीं है. राज्य में अब सड़क दुर्घटनाएं एक बड़ा नासूर बनती जा रही हैं. उत्तराखंड में बड़े सड़क हादसों के इतिहास पर नजर डालें तो हजारों लोग अभीतक दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा चुके हैं.
उत्तराखंड में सड़क हादसों की बड़ी वजह मौसम, मानवीय भूल यानी लापरवाही और सड़कों का खस्ताहाल होना व वाहनों की स्थिति बड़ी वजह हैं. लेकिन समस्या ये है कि न तो सरकार और न ही प्रशासन इस तरह ध्यान देता है. आंकड़े बताते हैं कि राज्य में पिछले 24 साल के दौरान सड़कों दुर्घटनाओं के कारण करीब 20 हजार लोगों की जान जा चुकी है. पिछले 5 साल में ही करीब 5,500 लोग सड़क हादसे का शिकार हुए हैं.
साल दर साल बढ़ रही सड़क हादसों की संख्या: चिंता की बात यह है कि पुलिस और परिवहन विभाग के तमाम प्रयासों के बावजूद साल दर साल सड़क हादसों की संख्या कम नहीं हो पा रही है. हालांकि समय-समय पर तमाम जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं. इतना ही नहीं मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समय-समय पर सड़क सुरक्षा की बैठकें भी की जाती हैं, लेकिन नतीजा शून्य ही नजर आता है.
हाल फिलहाल में हुई बड़ी दुर्घटनाएं: अक्टूबर महीने में टिहरी गढ़वाल से एक ऐसी ही घटना सामने आई थी, जहां देवप्रयाग थाना क्षेत्र में आर्मी का एक ट्रक पलट गया था. इससे पहले सितंबर महीने में भी टिहरी जिले में तेज रफ्तार मैक्स वाहन भी बेकाबू होकर खाई में गिर गया था. इस हादसे में भी तीन लोगों की मौत हो गई थी.
इसके अलावा अक्टूबर महीने में ही अल्मोड़ा जिले में दिल्ली से जागेश्वर जा रही टेम्पो ट्रैवलर हादसे का शिकार हो गई थी, जिसमें 17 लोग घायल हो गए थे. जबकि इसी महीने चमोली जिले में एक कर हादसे का शिकार हुई थी, इसमें कार चालक की मौके पर ही मौत हो गई थी.
रुद्रप्रयाग में 10 लोगों की जान गई थी: अक्टूबर महीने की 30 तारीख को रुद्रप्रयाग जिले में सड़क हादसा हुआ था. इसमें भी वाहन चालक की मौत हो गई थी. चारधाम यात्रा के दौरान कई बार खराब मौसम और पहाड़ों पर ड्राइविंग का अनुभव नहीं होने के कारण भी दुर्घटनाएं होती हैं. चारधाम यात्रा के दौरान लाखों लोग उत्तराखंड आते हैं और इस दौरान कई बार बड़ी दुर्घटनाएं भी हो जाती हैं. इसी तरह रुद्रप्रयाग में रैंतोली में बदरीनाथ हाईवे पर यात्रियों से भरा टेम्पो ट्रैवलर अलकनंदा नदी में गिर गया. इस हादसे 10 यात्रियों की मौत हुई थी.
प्रदेश में कई कारण बनते हैं हादसों की वजह: उत्तराखंड में वाहन दुर्घटनाओं के पीछे कई वजह होती है. सड़क दुर्घटना होने के बाद फौरन बड़े हादसों को लेकर मजिस्ट्रेट जांच भी बैठाई जाती है, लेकिन अधिकतर जांच लंबे समय तक पूरी ही नहीं हो पाती. मजिस्ट्रियल जांच में हादसे के पीछे की वजह सामने आने के बाद इन कारणों पर काम करते हुए दुर्घटनाओं पर रोकथाम की कोशिश की जानी चाहिए, लेकिन हादसों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ऐसा कुछ होता नहीं दिखता है.
सड़क दुर्घटना के लिए खराब सड़कें भी कई बार कारण होती हैं, इसके अलावा ओवरलोड (क्षमता से अधिक यात्रियों का गाड़ियों में होना) भी वजह बनता है. इसके अलावा गाड़ियों की खराब स्थिति के कारण भी सड़क दुर्घटना की वजह बन जाते हैं. वैसे सड़क दुर्घटना की सबसे बड़ी वजह मानवीय भूल ही होती है, जिसमें कई बार शराब पीकर गाड़ी चलाने और तेज रफ्तार के साथ लापरवाही बरतने जैसे कारण भी शामिल हैं.